पिछली सरकार से मिला ‘गिफ्ट’ या कांग्रेस की 5 गारंटी ने खाली किया खजाना, आखिर कर्ज के समंदर में कैसे डूबा हिमाचल​

कर्ज के दलदल में फंसा सबसे पहला पहाड़ी राज्य हिमाचल है. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष की समाप्ति तक हिमाचल पर 94,992.2 करोड़ का कर्ज हो जाएगा.

नई दिल्ली:

हिमाचल प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए वहां की कांग्रेस सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है. ऐसे में खुद सीएम सुक्खू, हिमाचल सरकार के मंत्री, CPS और बोर्ड निगमों के चेयरमैन 2 महीने तक सैलरी नहीं लेंगे. सीएम सुक्खू ने विधानसभा में गुरुवार को मॉनसून सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही के दौरान इसका ऐलान किया.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में कहा कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है. इसके कई कारण हैं. वित्तीय वर्ष 2023-24 में रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट 8058 करोड़ रुपये था. इस साल 1800 करोड़ रुपये कम होकर रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट 6258 करोड़ रुपये हो गई है. अगले साल (2025-26) में यह 3000 करोड़ रुपये और कम होकर 3257 करोड़ रुपये रह जाएगी. इसलिए सरकार के पास खर्च करने के लिए फंड की कमी है.आइए जानते हैं आखिर कर्ज में कैसे डूबा हिमाचल प्रदेश? क्या पिछली सरकार की नीतियों की वजह से कर्ज का बोझ बढ़ा या कांग्रेस के 5 वादों और गारंटियों ने ही माली हालत खराब कर दी:-

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PDNA के 9042 करोड़ नहीं मिले, GST कंपनसेशन भी नहीं दिया
हिमाचल प्रदेश की खराब आर्थिक हालत के लिए राज्य सरकार की तरफ से कई कारण दिए जा रहे हैं. सरकार का कहना है कि PDNA के 9042 करोड़ में से कोई भी रकम अब तक केंद्र से नहीं मिली है. साथ ही NPS सहयोग के तकरीबन 9200 करोड़ रुपये भी PFRDA से नहीं मिलने का आरोप लगाया गया है. GST कंपनसेशन भी जून 2022 के बाद नहीं मिल रहा है. 

OPS बहाल होने से भी राजस्व में आई कमी
राज्य की कांग्रेस सरकार ने कहा कि इसकी वजह से हर साल 2500-3000 करोड़ की इनकम कम हो गई है. OPS बहाल होने से भी 2000 करोड़ की कमी की बात हिमाचल सरकार कर रही है. 

कांग्रेस और BJP एक-दूसरे को ठहरा रहे जिम्मेदार
हिमाचल की खराब माली हालत के लिए कांग्रेस केंद्र सरकार और राज्य की पिछली सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराती है. कांग्रेस प्रवक्ता दीपक शर्मा कहते हैं, “केंद्र हिमाचल को वो फंड नहीं रिलीज कर रहा, जिसका वो हकदार है. पुरानी सरकार ने भी कई ऐसी नीतियां बनाई, जिससे कर्ज का बोझ बढ़ा. केंद्र सरकार हिमाचल के साथ सीधे तौर पर सौतेला बर्ताव कर रही है.”

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